Q. समाज के साथ-साथ पुलिस नेतृत्व ने भी स्वीकार कर लिया है कि पुलिस में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है. भारत में वर्दीधारी महिलाओं को किन समस्याओं को आम तौर पर झेलना पड़ता है? सरकार पुलिस बल को महिलाओं के लिए किस प्रकार अधिक अनुकूल बना सकती है? चर्चा कीजिए. (GS Paper 1)
उत्तर:
- यदि सवाल का पहला वाक्य एक कथन के रूप में है तो इसे नकारा नहीं जा सकता क्योंकि इस कथन की सत्यता पर आपकी राय नहीं पूछी गई है.
- इसलिए उत्तर देने से पहले भूमिका में इस बात को आप स्वीकार लें कि इस कथन की मुझे हर परिस्थिति में पुष्टि करनी है.
- कई छात्र गलती करते हैं कि पहले कथन का जिक्र किये बिना दूसरे कथन (जिसमें आपका विचार पूछा गया है) उसमें कूद जाते हैं. ऐसा न करें.
- पहले पुलिस में महिलाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण क्यों है, उससे प्रारम्भ करें.
- जैसे – आज के दौर में महिलाएं शिक्षा, पत्रकारिता, कानून, चिकित्सा या इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं दे रही हैं. पुलिस और सेना में भी वे अहम भूमिका निभा रही रही हैं.
- अब आया दूसरा कथन. इसमें ही आपके विचार की जाँच की जायेगी.
- ध्यान रहे कि आपसे वर्दीधारी महिलाओं के समस्याओं के विषय में पूछा गया है न कि आम महिलाओं की समस्याओं के विषय में जो गृह कार्य में संलग्न है. इसलिए आप महिला पुलिस की समस्याओं का जिक्र करें. कई छात्र उत्तर लिखते समय भटक जाते हैं और समाज के सभी वर्ग की महिलाओं की समस्याओं के विषय में लिखने लगते हैं.
- उत्तर में पहले यह गिनाने की कोशिश नहीं कीजिए कि किन-किन समस्याओं को झेलना पड़ता है… यदि आप अपने उत्तर में यह बता दें कि वर्दीधारी पुलिस महिलाओं को समस्याओं को क्यों झेलना पड़ता है तो आपके उत्तर में चार चाँद लग जाएगा.
- तो आप कुछ यूँ कह सकते हैं कि यह पेशा पुरुषों के लिए बना था, इसलिए प्रत्येक वस्तु को पुरुषों को ध्यान में रखकर बनाई गई. पुलिस की नीतियां, अवसंरचना और हथियार पुरुषों को ध्यान में रखकर बनाए गए. लेकिन अब जब महिलाएं इस पेशे में आने लगी हैं तो उनके अनुसार माहौल को ढालना कठिन हो जाता है. इसलिए महिला पुलिस को पुरुषों के साथ उतनी ही दक्षता के साथ काम करना एक चुनौती बन जाती है.
- यह लिखकर आप अब समस्याओं को गिना सकते हैं. जैसे — बॉर्डर आउट पोस्ट में महिला और पुरुष पुलिस कर्मियों की बैरेक एक ही कंपाउंड में होती हैं. दोनों की बैरेक पृथक-पृथक तो होती हैं, परन्तु उनके बीच चारदिवारी या फेंसिंग नहीं होती. आमने-सामने सब दिखाई देता है. कई बार दरवाज़े और पर्दे नहीं होते. ऐसे में महिला पुलिस कर्मियों के लिए बहुत ही असहज स्थिति रहती है. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज़्यादा निजता की आवश्यकता होती है, जो उन्हें वहां नहीं मिल पाती.
- शौचालय – थानों और ड्यूटी की स्थानों पर उपयुक्त रूप से शौचालय उपलब्ध नहीं होते. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कभी-कभी जूनियर महिला पुलिसकर्मियों को शौचालय जाने के लिए लगभग आधा किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है.
- कई बार आने-जाने के लिए ट्रकों का प्रयोग किया जाता है. बसें और हल्के वाहन नहीं होते. ऐसे में महिलाओं को ट्रकों पर पुरुषों की तरह कूदकर चढ़ना उतरना पड़ता है जो एक कठिन कार्य है.
- बुलेट प्रूफ जैकेट बहुत ही भारी होते हैं और वो महिलाओं को ठीक से नहीं होते. ये सुरक्षा कवच पुरुषों के शरीर के अनुसार बने होते है जिससे कई बार महिलाओं को शरीर में दर्द और भागते वक़्त सांस फूलने की दिक्क़त होती.
- बैरेक में रहने पर बच्चों को साथ रखने की जगह नहीं होती. बॉर्डर में पोस्टिंग होने पर बच्चों से दूर रहना पड़ता है. जैविक कार्यों (मातृत्व इत्यादि) के लिये भी पर्याप्त छुट्टी भी नहीं मिल पाती है.
- दोहरी जिम्मेदारियों के बोझ के कारण तनाव एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को झेलना पड़ता है.
- महिला होने के कारण कई स्थानों में भेदभाव किया जाता है. क़ाबिलियत के अनुसार, उन्हें कार्य नहीं दिया जाता, पोस्टिंग नहीं मिलती, कई महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं. अपने सहकर्मी से पर्याप्त सम्मान नहीं मिल पाता है. महिला पुलिसकर्मियों को मुख्य रूप से महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से निपटने के लिये नियुक्त किया जाता है. इसके साथ ही इन्हें महिला कैदियों से जुड़े दायित्वों के लिये नियुक्त करने की अवधारणा भी इनके हितों के विरुद्ध काम करती है क्योंकि यह उन्हें पुलिसिंग के मुख्य कार्यों से अलग करती है.
- अब आप सवाल के अंतिम भाग में आएँ और बतलाइये कि सरकार द्वारा क्या-क्या कदम उठाये जा सकते हैं.प्रयास कीजिए कि प्रश्न के अंतिम भाग का उत्तर देते वक्त आप अपनी जान फूँक दें. ताकि उत्तर देखने वाले बहुधा सवाल के अंतिम पैराग्राफ पर नजर दौड़ाते हैं क्योंकि उनके पास इतना वक्त नहीं होता कि आपकी एक-एक लाइन को वे पढ़ें.
जैसे आप यदि यह लिख दें कि ख़राब पुलिस व्यवस्था वाले राज्यों को “नेम एंड शेम” करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर एक सूचकांक तैयार करना चाहिए, जिससे राज्य प्रगतिशील नीतियां अपनाएं.
“नेम एंड शेम” लिख देने से आपका उत्तर औरों से अलग होगा और यह ध्यान भी आकृष्ट करेगा.
ऑफिस, परिवहन के साधन इत्यादि की व्यवस्था इतनी सुरक्षित एवं ‘वुमन फ्रैंडली’ हो कि वे वहाँ सुरक्षित अनुभव कर सकें.
अवश्य ही ‘मातृत्व लाभ’ अब अनिवार्य हो गया है परंतु असंगठित क्षेत्र में भी ऐसी कुछ व्यवस्था हो या फिर सरकार की ओर से कुछ वित्तीय सुरक्षा दी जाए.
पुलिस में महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों के साथ प्रत्येक प्रकार से समानता बनाए रखने के लिये आवश्यक प्रशिक्षण, समर्थन और विश्वास प्राप्त करना चाहिये.
विभाग को कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 का कड़ाई से पालन करना चाहिये. पुलिस बल में महिलाओं का एकीकरण करना भारत में पुलिस सुधार की प्रक्रिया का एक अनिवार्य घटक होना चाहिये जिससे वे परिवर्तन के अग्रदूत बन सकें.
महिला यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 का जिक्र कर देने से आपका उत्तर अन्य छात्रों की तुलना में बिलकुल हट कर हो जाएगा.
ध्यान रखे कि आपको हमने सिर्फ आईडिया दिया है कि क्या-क्या लिखा जाना चाहिए. आपको तो उत्तर कम शब्दों में लिखना है.
इतना पढ़ने के बाद आप इसको अपने शब्दों में लिखकर हमें मेल कीजिये @eraayav@gmail.com