आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन

 

आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन

आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में साढ़े छह दशक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन को स्वीकृति दे दी ताकि अनाज, दलहन और प्याज सहित खाद्य वस्तुओं को नियमन के दायरे से बाहर किया जा सके.

संशोधन के मुख्य तथ्य

  • संशोधन के माध्यम से राष्ट्रीय आपदाओं, अकाल के फलस्वरूप दामों में बेलगाम वृद्धि जैसी असाधारण परिस्थितियों में ही खाद्य पदार्थों के नियमन की बात कही गई है.
  • इसके अतिरिक्त, प्रोसेसर और मूल्य श्रृंखला प्रतिभागियों को स्टॉक सीमा से छूट दी गई है.

संशोधन के लाभ

  • उत्पादन, भंडारण, कहीं ले जाने, वितरण और आपूर्ति करने की स्वतंत्रता से आर्थिक लाभ का दोहन संभव होगा और निजी क्षेत्र एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षण होगा.
  • यह शीतभंडार गृहों में निवेश को प्रोत्साहन देगा और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का आधुनिकीकरण करने में सहायता करेगा.
  • किसान, किसी प्रकार के शोषण के भय के बिना, प्रोसेसर, एग्रीगेटर, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों आदि से समान स्तर पर जुड़ने के लिए सशक्त होंगे.

आवश्यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 

  • आवश्यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 को उपभोक्‍ताओं को अनिवार्य वस्‍तुओं की सरलता से उपलब्‍धता सुनिश्चित कराने तथा कपटी व्‍यापारियों के शोषण से उनकी रक्षा के लिए बनाया गया है.
  • इस अधिनियम में उन वस्‍तुओं के उत्‍पादन वितरण और मूल्‍य निर्धारण को विनियमित एवं नियंत्रित करने की व्‍यवस्‍था की गई है, जिनकी आपूर्ति बनाए रखने या बढ़ाने तथा उनका समान वितरण प्राप्‍त करने और उचित मूल्‍य पर उनकी उपलब्‍धता के लिए अनिवार्य घोषित किया गया है. अधिनियम के अंतर्गत अधिकांश शक्तियाँ राज्‍य सरकारों को प्रदत्त हैं.
  • अनिवार्य घोषित की गई वस्‍तुओं की सूची की आर्थिक परिस्थितियों में, परिवर्तनों विशेषतया उनके उत्‍पादन मांग और आपूर्ति के संबंध में, के आलोक में समय-समय पर समीक्षा की जाती है.
  • आवश्यक वस्तुओं में दवाएँ, उर्वरक, दलहन और खाद्य तेल, पेट्रोलियम इत्यादि सम्मिलित हैं.

इस अधिनियम में समस्याएँ

  1. भण्डारण सीमाएं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और फ़ूड रिटेल चेन, जो अपने संचालन के लिए बड़े भण्डार बनाए रखने की आवश्यकता का अनुभव करती हैं, में भेद नहीं करती हैं. अत: आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत ये उत्पीड़न की भागी बन सकती हैं.
  2. वास्तविक जमाखोरों की पहचान करना आसान कार्य नहीं है. इस अधिनियम के अंतर्गत दोषसिद्धि की दर भी बेहद कम है. इसलिए जमाखोर बच निकलते हैं एवं खाद्य अर्थव्यवस्था के वास्तविक प्रतिभागियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
  3. यह अधिनियम वर्तमान समय के अनुरूप नहीं है. सशक्त परिवहन अवसंरचना के कारण यदि एक भाग में पर्याप्त आपूर्ति है तो भी देश के दूसरे भाग में कमी का सामना करना पड़ सकता है.

भण्डारण प्रतिबन्ध हटाने के बाद के संभावित प्रभाव

  1. कृषि वस्तुओं पर से भण्डारण प्रतिबंध हटाने से सुसंगठित व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बड़े पैमाने पर होने वाले व्यापार से प्राप्त होने वाले लाभ में सुधार होगा एवं बड़े व्यापारियों द्वारा एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने से व्यापार में और अधिक पूँजी का अंतर्वाह होगा. यहहैंडलिंग लागतों को कम करेगा, अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करेगा, कीमतों को कम करेगा तथा किसानों के लाभ में वृद्धि करेगा.
  2. इस अधिनियम के अंतर्गत नियमों और भण्डारण सीमा में बारंबार परिवर्तन व्यापारियों को बेहतर भण्डारण अवसंरचना में निवेश करने से निरुत्साहित करते हैं. साथ ही, भण्डारण सीमाएं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के कामकाज को कम कर देती हैं जिन्हें अपने कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए अंतर्निदठित वस्तुओं के बड़े भंडार बनाए रखने की आवश्यकता होती है. इन प्रतिबंधों की समाप्ति और अधिक निवेश को आकर्षित करेगी.

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