पारसी धर्म |
पारसी धर्म(toc)
पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म भी कहते हैं ।
फारस का यह प्राकृतिक धर्म कालांतर में धर्म श्रवौन के रूप में स्वीकार किया गया. इस धर्म के संस्थापक जरथुष्ट्र थे. यही श्रवौन धर्म बाद में पारसी धर्म बना. जरथुष्ट्र का जन्म पश्चिमी ईरान के अजरबेजान प्रान्त में हुआ था. उनके पिता का नाम पोमशष्पा और माता का नाम दुरोधा था ।
ज़रथुष्ट्र धर्म की मान्यता
ज़रथुष्ट्र धर्म में दो शक्तियों की मान्यता है
ज़रथुष्ट्र धर्मावलम्बी सात देवदूतों (यज़त) की कल्पना करते हैं, जिनमें से प्रत्येक सूर्य, चंद्रमा, तारे, पृथ्वी, अग्नि तथा सृष्टि के अन्य तत्वों पर शासन करते हैं। इनकी स्तुति करके लोग अहुरमज्द को भी प्रसन्न कर सकते हैं।
धर्मग्रंथ
पारसियों का प्रवित्र धर्मग्रंथ 'जेंद अवेस्ता' है, जो ऋग्वेदिक संस्कृत की ही एक पुरातन शाखा अवेस्ता भाषा में लिखी गई है। ईरान के सासानी काल में जेंद अवेस्ता का पहलवी भाषा में अनुवाद किया गया, जिसे 'पंजंद' कहा जाता है। परन्तु इस ग्रंथ का सिर्फ़ पाँचवा भाग ही आज उपलब्ध है। इस उपलब्ध ग्रंथ भाग को पांच भागों में बांटा गया है