नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यवाही दिवस(14 मार्च)

                                                        
नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यवाही दिवस
नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यवाही दिवस

 नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यवाही दिवस

•नदियों के मूल्य और महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 14 मार्च को 'नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यवाही दिवस' मनाया जाता है।

• यह दिवस दुनियाभर के लोगों को नदियों के संरक्षण, प्रबंधन, प्रदूषण और स्वच्छ प्रवाह तक समान पहुँच के बारे में भी जागरूक करता है।

• यह सिंचाई और स्वच्छ पेयजल के स्रोत के रूप में नदियों के साथ-साथ ताजे / मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्स्थापित करने और बनाए रखने की कार्यवाही को भी प्रेरित करता है।

नदियों का महत्त्व और संकट


बड़ी-बड़ी सभ्यताएँ नदियों के किनारे / आसपास विकसित हुई थीं। नदियाँ मानव जीवन और पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में महती भूमिका रखती हैं। नदियाँ ताजे पानी के पारिस्थितिक तंत्र का हिस्सा हैं और ये दुनिया में सबसे ज्यादा खतरे में हैं। ताजे पानी के जलीय जीवों की प्रजातियों की संख्या में वर्ष 1970 के बाद से 83% की कमी हुई है।

भारत में प्रदूषित नदियाँ


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने वर्ष 2018 में भारत में 351 प्रदूषित नदियों की पहचान की थी।

• पानी की गुणवत्ता के आकलन में पाया गया कि 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की नदियों के पानी की गुणवत्ता मानदंडों को पूरा नहीं करती।

• भारत में लगभग 60% प्रदूषित नदियाँ आठ राज्यों (महाराष्ट्र, असम, मध्य प्रदेश, केरल, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक) में हैं।

• देश में सबसे अधिक प्रदूषित नदियाँ महाराष्ट्र में हैं।

गंगा, सतलुज, हिंडन, साबरमती, गोदावरी और मीठी नदियाँ देश की कुछ प्रदूषित नदियाँ हैं।

नदियों के प्रदूषण के कुछ कारण


1. शहरीकरण

2. उद्योग

3. कृषि अपवाह और अनुचित कृषि प्रथाएँ 4. धार्मिक और सामाजिक प्रथाएँ
नदी प्रदूषण से निपटने हेतु सरकार के कुछ प्रयास राष्ट्रीय जल नीति, 2012

• यह नीति मानव अस्तित्व के साथ-साथ आर्थिक विकास संबंधी गतिविधियों के लिए जल के महत्त्व पर प्रकाश डालती है।

• यह किफायती, सतत् और न्यायसंगत साधनों के माध्यम से जल संसाधनों के संरक्षण हेतु रूपरेखा का सुझाव देती है।

राष्ट्रीय जल मिशन 2010


• यह मिशन एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करता है, ताकि जल संरक्षण, जल के कम अपव्यय और समान वितरण के साथ बेहतर नीतियों का निर्माण हो सके।

स्वच्छ पेयजल पर भारतीय संविधान का रुख़


अनुच्छेद 48A, अनुच्छेद 51 (A) (g), अनुच्छेद 21 के तहत भारत का संविधान, केंद्र और राज्य सरकारों को इसके नागरिकों के लिए स्वच्छ तथा स्वस्थ वातावरण एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का प्रावधान करता है।

• सर्वोच्च न्यायालय ने भी घोषणा की है कि स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।
जल प्रदूषण से जुड़ी शब्दावली

बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD)


• यह सूक्ष्मजीवों द्वारा एरोबिक प्रतिक्रिया (ऑक्सीजन की उपस्थिति में) के तहत ऑक्सीजन की वह मात्रा है जो जल में कार्बनिक पदार्थों (अपशिष्ट या प्रदूषक) के जैव-रासायनिक अपघटन के लिए आवश्यक होती है।

• अधिक BOD के कारण मछलियों जैसे उच्च जीवों के लिए उपलब्ध घुलित ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है।

इसलिए BOD एक जल निकाय के जैविक प्रदूषण की एक विश्वसनीय माप है।

विघटित ऑक्सीजन


• यह जल में घुलित ऑक्सीजन की वह मात्रा है जो जलीय जीवों के श्वसन या जीवित रहने के लिए आवश्यक होती है। घुलित ऑक्सीजन के स्तर में वृद्धि के साथ पानी की गुणवत्ता बढ़ जाती है।

किसी नदी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर 5 मिलीग्राम/लीटर या उससे अधिक होता है, तो उसका जल नहाने / स्नान योग्य होगा।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

buttons=(Accept !) days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !