अराजक और रिवोल्यूशनरी अपराध अधिनियम, 1919

अराजक और रिवोल्यूशनरी अपराध अधिनियम, 1919
अराजक और रिवोल्यूशनरी अपराध अधिनियम, 1919


अराजक और रिवोल्यूशनरी अपराध अधिनियम, 1919
गवर्नर जनरल चेम्सफोर्ड ने 1917 में जस्टिस सिडनी रौलट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की| इस समिति का गठन विद्रोह की प्रकृति को समझने और सुझाव देने के लिए किया गया था| इसे ‘रौलट समिति’ के नाम से भी जाना जाता है| इस अधिनियम, जोकि किसी भी क्षेत्र/भाग पर लागू किया जा सकता था, में किसी भी व्यक्ति को कार्यपालिका के नियंत्रण में लाने के लिए दो तरह के उपाय शामिल थे-दंडात्मक और प्रतिबंधात्मक| इस अधिनियम के तहत सरकार किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी और बिना सुनवाई के दो साल तक कैद में रख सकती थी|


अधिनियम के प्रावधान

• गवर्नर जनरल को इस अधिनियम को किसी भी क्षेत्र में लागू करने का अधिकार दिया गया

• अधिनियम में अपराधों की त्वरित सुनवाई की व्यवस्था की गयी

• जन सुरक्षा के दृष्टिकोण से किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल में डाला जा सकता था

• भारत रक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को न छोड़ा जाये

• ऐसे मुकदमों की सुनवाई का अधिकार ज्यूरी पर छोड़ दिया गया था|

निष्कर्ष

ब्रिटिश राजनीतिक व्यवस्था में यह अधिनियम उस समय की राजनीतिक गतिविधियों और चर्चित स्वतंत्रताओं पर नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से लाया गया था| इस अधिनियम, जोकि किसी भी क्षेत्र/भाग पर लागू किया जा सकता था, में किसी भी व्यक्ति को कार्यपालिका के नियंत्रण में लाने के लिए दो तरह के उपाय शामिल थे-दंडात्मक और प्रतिबंधात्मक|

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