सुभाषचंद्र बोस और आई. एन. ए. (आजाद हिन्द फ़ौज)

सुभाषचंद्र बोस और आई. एन. ए. (आजाद हिन्द फ़ौज)


सुभाषचंद्र बोस और आई. एन. ए. (आजाद हिन्द फ़ौज)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्वतंत्रता संघर्ष के विकास में आजाद हिन्द फ़ौज के गठन और उसकी गतिविधियों का महत्वपूर्ण स्थान था|इसे इन्डियन नेशनल आर्मी या आईएनए के नाम से भी जाना जाता है| रास बिहारी बोस नाम के भारतीय क्रांतिकारी, जो कई सालों से भारत से भागकर जापान में रह रहे थे, ने दक्षिण पूर्व एशिया में रह रहे भारतीयों के सहयोग से इन्डियन इन्डिपेंडेंस लीग का गठन किया| जब जापान ने ब्रिटिश सेना को हराकर दक्षिण पूर्व एशिया के लगभग सभी देशों पर कब्ज़ा कर लिया तो लीग ने भारतीय युद्धबंदियों को मिलाकर इन्डियन नेशनल आर्मी को तैयार किया ताकि भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाई जा सके| ब्रिटिश भारतीय सेना में अधिकारी रहे जनरल मोहन सिंह ने इस आर्मी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| इसी दौरान 1941 में सुभाष चन्द्र बोस भारत की स्वतंत्रता के लिए भारत से भागकर जर्मनी चले गए| 1943 में वे इन्डियन इन्डिपेंडेंस लीग का नेतृत्व करने के लिए सिंगापुर आये और इन्डियन नेशनल आर्मी (आजाद हिन्द फ़ौज) का पुनर्गठन किया ताकि वह भारत की स्वतंत्रता को प्राप्त करने का महत्वपूर्ण हथियार बन सके| आजाद हिन्द फ़ौज में लगभग 45,000 सैनिक शामिल थे, जिनमे भारतीय युद्धबंदियों के अलावा वे भारतीय भी शामिल थे जो दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक देशों में बस गए थे|

21 अक्टूबर ,1943 में सुभाष बोस, जिन्हें अब नेताजी के नाम से जाना जाने लगा था, ने सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार (आजाद हिन्द) के गठन की घोषणा कर दी| नेताजी अंडमान गए,जो उस समय जापानियों के कब्जे में था,और वहां भारतीय झंडे का ध्वजारोहण किया| 1944 के आरम्भ में आजाद हिन्द फ़ौज (आईएनए) की तीन इकाइयों ने भारत के उत्तर पूर्वी भाग पर हुए हमले में भाग लिया ताकि ब्रिटिशों को भारत से बाहर किया जा सके| आजाद हिन्द फ़ौज के सबसे चर्चित अधिकारियों में से एक शाहनवाज खान के अनुसार जिन सैनिकों ने भारत में प्रवेश किया वे स्वयं जमीन पर लेट गए और भावुक होकर अपनी पवित्र मातृभूमि को चूमने लगे| हालाँकि,भारत को मुक्त करने का आजाद हिन्द फ़ौज का प्रयास सफल नहीं हो सका|

भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन ने जापानी सरकार को भारत के मित्र के रूप में नहीं देखा|उसकी सहानुभूति जापानी हमलों के शिकार हुए देशों के लोगों के प्रति थी|हालाँकि,नेताजी का मानना था कि जापान के समर्थन,आजाद हिन्द फ़ौज के सहयोग और देश के अन्दर होने वाले विद्रोह के द्वारा भारत से ब्रिटिश शासन को उखाड़कर फेंका जा सकता है| आजाद हिन्द फ़ौज का दिल्ली चलो का नारा और जय हिन्द की सलामी देश के अन्दर और बाहर दोनों जगह भारतीयों की प्रेरणा की स्रोत थी|भारत की स्वतंत्रता के लिए नेताजी ने दक्षिण पूर्व एशिया में रह रहे सभी धर्मों और क्षेत्रों के भारतीयों को एकत्र किया| भरतीय स्वतंत्रता की गतिविधियों में भारतीय महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|आजाद हिन्द फ़ौज की महिला रेजीमेंट का गठन किया गया,जिसकी कमान कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन के हाथों में थी| इसे रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट कहा जाता था| आजाद हिन्द फ़ौज भारत के लोगों के लिए एकता का प्रतीक और वीरता का पर्याय बन गयी|जापान द्वारा आत्मसमर्पण करने के कुछ दिन बाद ही नेताजी,जो भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के महानतम नेताओं में से एक थे,की एक हवाई दुर्घटना में मौत की खबर आई|

द्वितीय विश्व युद्ध 1945 में फासीवादी जर्मनी और इटली की पराजय के साथ समाप्त हो गया| युद्ध में लाखों लोग मारे गए| जब युद्ध समाप्ति के करीब था और जर्मनी व इटली की हार हो चुकी थी, तभी संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के दो शहरों-हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिए| कुछ ही क्षणों में ये शहर धराशायी हो गए और 200,000 से भी ज्यादा लोग मारे गए| इसके तुरंत बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया| हालाँकि,परमाणु बमों के प्रयोग के कारण युद्ध तो समाप्त हो गया लेकिन इसने विश्व में एक नए तरह का तनाव पैदा कर दिया और एक से बढकर एक ऐसे खतरनाक हथियारों को बनाने की होड़ लग गयी जोकि सम्पूर्ण मानव-जाति को ही नष्ट कर सकते है|

निष्कर्ष

आल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक भारत का वामपंथी राष्ट्रीय राजनीतिक दल था,जिसका उदय 1939 में कांग्रेस के अन्दर से एक धड़े के रूप में हुआ था और इसका नेतृत्व सुभाष चन्द्र बोस ने किया था| प्रथम आईएनए का पतन हो चुका था बाद में सुभाष चन्द्र बोस द्वारा 1943 में आईएनए का पुनर्गठन किया गया और बोस की सेना को अर्गी हुकूमत-ए-हिन्द घोषित किया गया|

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