राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस


राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस

टीकाकरण सार्वजनिक स्वास्थ्य की बड़ी सफलता की एक कहानी रही है। लाखों बच्चों की जान बचाई गई है, लाखों लोगों के पास लंबे और स्वस्थ जीवन का मौका है, सीखने, खेलने, पढ़ने और लिखने का एक बड़ा मौका है, बिना परेशानी के स्वतंत्र रूप से घूमने का मौका है।

- नेल्सन मंडेला

■ मानव स्वास्थ्य प्रणाली में टीकों (वैक्सींस) के महत्व को बढ़ाने के लिए हर वर्ष 16 मार्च को भारत में 'राष्ट्रीय टीकाकरण 'दिवस' मनाया जाता है।

यह दिवस घातक बीमारियों से बचाव हेतु टीकाकरण की उपयोगिता के बारे में जागरूकता भी बढ़ाता है। ■ यह दिवस पोलियो रोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और कार्यवाही को भी चिन्हित करता है।

भारत में टीकाकरण कार्यक्रम

भारत में टीकाकरण कार्यक्रम सर्वप्रथम वर्ष 1978 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 'एक्सपेंडेड प्रोग्राम ऑफ इम्यूनाइज़ेशन' (EPI) के तौर पर चलाया गया था।

वर्ष 1985 में इस कार्यक्रम का नाम बदलकर यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम कर दिया गया था।

■ भारत का 'यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम' विश्व के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है, जो प्रतिवर्ष लगभग 2.67 करोड़ नवजात शिशुओं और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को लक्षित करता है।

पूर्ण टीकाकरण क्या है?

■ पूर्ण टीकाकरण से आशय एक बच्चे द्वारा अपने जीवन के पहले वर्ष में कुल आठ टीकों की खुराक लेने से है। इनमें शामिल हैं-

■ तपेदिक का बीसीजी टीका, जन्म के कुछ समय बाद

■ पोलियो टीका, जन्म के समय पहली खुराक

चार सप्ताह के अंतराल पर दो और पोलियो खुराक ■ डिफ्थीरिया, काली खाँसी और टेटनस की तीन खुराकें

खसरे के टीके की एक खुराक


मिशन इंद्रधनुष

■ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 दिसंबर, 2014 को 'मिशन इंद्रधनुष' की शुरुआत की थी।

पूर्ण टीकाकरण की कवरेज को 90% तक बढाने के लिए मिशन इंद्रधनुष को लागू किया गया था। यह एक बूस्टर टीकाकरण कार्यक्रम है जो कम टीकाकरण कवरेज वाले 201 जिलों में शुरू हुआ था।

■ यह यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किए गए 7 रोगों (तपेदिक, पोलियोमाइलाइटिस, हेपेटाइटिस बी, डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस और खसरा) के खिलाफ 7 टीकों का प्रतिनिधित्व करता था, फिर इसमें खसरा रूबेला, रोटावायरस, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप-बी और पोलियो के टीकों को शामिल कर लिया गया था।

■ इसके तहत कुछ चुने गए राज्यों और ज़िलों में जापानी एन्सेफलाइटिस और न्यूमोकोकस के खिलाफ भी टीके दिए जा रहे हैं।

सघन मिशन इंद्रधनुष

इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2017 में हुई थी।

■ इसके तहत उन शहरी क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दिया गया जो मिशन इंद्रधनुष के तहत छूट गए थे।

■ हाल ही में सघन मिशन इंद्रधनुष 4.0 की शुरुआत भी हो चुकी है।

भारत और टीके (वैक्सीन)

वर्ष 2021 के अनुसार, वर्तमान में विश्व की कुल 80-90% खसरे की वैक्सीन भारत द्वारा प्रदान की जाती है।

भारत द्वारा दक्षिण अमेरिका को रूबेला के टीके की सभी प्रकार की आपूर्ति की जाती है। ■ भारत की स्वदेशी रूप से विकसित मेनिंगोकोकल वैक्सीन की आपूर्ति संपूर्ण उप-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र में की जाती है।

■ स्वदेशी रोटावायरस वैक्सीन की आपूर्ति विश्व के 15 देशों को की जा रही है।

अन्य तथ्य

कोविड- 19 ने टीकों के महत्व और हमारे जीवन में उनके लाभ की भूमिका पर हमारा ध्यान बढ़ाया है।

■ पोलियो का ओरल टीकाकरण भारत में वर्ष 1995 में शुरू हुआ था।

■ भारत में पोलियो का आखिरी मामला वर्ष 2011 में बंगाल में आया था।

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