बटलर समिति के बारे में जानें |
प्रथम विश्वयुद्ध के समय में देशी शासकों ने ब्रिटिश सरकार की बहुमूल्य सहायता की थी. युद्ध के अंत होने पर भारत में उत्तरदायी शासन के विकास की योजना बनाई गई. फलतः देशी शासकों और ब्रिटिश सरकार के बीच के सम्बन्ध की व्याख्या करने और ब्रिटिश सार्वभौम सत्ता को पारिभाषित करने की जरूरत महसूस हुई. फलतः 1927 ई. में इसकी जाँच करने और इस सम्बन्ध में उचित राय देने के लिए इंडियन-स्टेट्स-कमिटी जो साधारणतः इतिहास में बटलर समिति (Butler Committee) के नाम से विख्यात है, Harcourt Butler की अध्यक्षता में गठित की गई.
बटलर समिति (Butler Committee)
Butler Committee की सिफारिशें इस प्रकार थीं -
- राज्यों के साथ बरतने के लिए कौंसिल समेत गवर्नर-जनरल नहीं, बल्कि वायसराय ब्रिटिश साम्राज्य का प्रतिनिधि बने.
- ब्रिटिश सम्राट और देशी शासकों के सम्बन्ध के प्रक्रिया को बिना देशी नरेशों की राय के भारत सरकार को हस्तांतरित नहीं किया जाए क्योंकि वह व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदाई है.
- राज्य परिषद् बनाने की योजना रद्द कर दी जाए.
- देशी राज्यों के शासन में हस्तक्षेप करना वायसराय के निर्णय पर छोड़ दिया जाए.
- भारत सरकार और देशी राज्यों के मतभेद का समाधान करने के लिए विशेष समितियाँ नियुक्त की जाएँ.
- ब्रिटिश भारत और देशी राज्यों के बीच आर्थिक संबंधों की जाँच के लिए एक समिति नियुक्त की जाए.
- राजनीतिक पदाधिकारियों की नियुक्ति और शिक्षा का अलग प्रबंध किया जाए और वे इंग्लैंड के विश्वविद्यालयों से लिए जाएँ.
Butler Committee की निंदा
बटलर-समिति की सिफारिशों की कड़ी निंदा की गई है क्योंकि इसके लेखकों ने एक नए सिद्धांत का आविष्कार किया था. समिति के रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया कि देशी राज्यों का सम्बन्ध भारत सरकार से नहीं था, बल्कि सीधे ब्रिटिश सम्राट से था. पर इस सीधे सम्बन्ध का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं था, बल्कि भारत सरकार और देशी राज्यों के बीच एक बड़ी दीवार कायम करने के उद्देश्य से ही इस सिद्धांत का आविष्कार किया गया था. इस सिद्धांत के द्वारा ब्रिटिश-भारत में आनेवाली उत्तरदाई सरकार को कमजोर बनाने की योजना बनायी गई थी. इसी कारण कुछ भारतीयों ने बटलर समिति की सिफारिशों की कटु आलोचना की.
श्री.सी.वाई. चिंतामणि ने बतलाया कि 'बटलर कमिटी अपने जन्म में बुरी थी, इसकी नियुक्ति का समय बुरा था, इसकी जाँच-पड़ताल की शर्तें बुरी थीं, इसमें काम करनेवाले लोग बुरे थे और जाँच करने का इसका ढंग बुरा था. इस रिपोर्ट की दलीलें बुरी हैं और इसके निष्कर्ष बुरे हैं.”
बटलर समिति (Butler Committee) की रिपोर्ट में देशी राज्यों की जनता के लिए भविष्य का कोई संकेत नहीं था. उनमें आधुनिक विचार और ऐसी वस्तुओं का नितांत अभाव था जो विश्वास और आशा का संचार कर सकती हैं.